A.P.J. Abdul Kalam: AP.J. Abdul Kalam Biography,जीवन परिचय

Biography of A.P.J Abdul kalam:दोस्तों आज भारत में बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी A.P.J Abdul kalam को जरूर जानते होंगे। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ए.पी.जे अब्दुल कलाम भारतीय वैज्ञानिक,इंजीनियर,मिसाइलमैन के साथ ही साथ वह भारत के 11वें राष्ट्रपति भी थे। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको ए.पी.जे अब्दुल कलाम की उम्र,wiki,जीवनी और उनके जीवनी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। अगर आप आज के इस लेख में अंत तक बने रहते हैं तो आप उनके family ( परिवार) के बारे में भी जान पाएंगे। तो आइए A.P.J Abdul kalam के व्यक्तिगत, व्यवसायिक और राजनीतिक जीवन के बारे में जानते हैं।

A.P.J. Abdul Kalam: AP.J. Abdul Kalam Biography,जीवन परिचय

नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)
राष्ट्रीयता: भारतीय(Indian)
व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
जन्म: 15-अक्टूबर सन् 1931में
जन्म स्थान: धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत में
निधन: 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत में
राजनीती के रूप में प्रसिद्ध: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे

A.P.J Abdul Kalam कौन थे ?

A.P.J Abdul Kalam भारत के एक  महान एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे। जिन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी(Instuite of technology)से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद भारत के रक्षा विभाग में शामिल हो गए थे। वह भारत देश की परमाणु क्षमताओं के विकास में एक केंद्रीय व्यक्ति थे और फिर 1998 में एक सफल परीक्षण की एक श्रृंखला के बाद वह एक राष्ट्रीय नायक के रूप में प्रचलित हो गए। A.P.J Abdul Kalam वैज्ञानिक के साथ ही साथ वह भारत के 11वें राष्ट्रपति भी थे और उन्होंने 2002 से लेकर 2007 तक कार्यालय के लिए भारत में राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।

A.P.J Abdul kalam का जन्म कब और कहां हुआ

भारत के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में धनुष्कोड़ी,तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था जो कि एक नाविक( नाव चलाने वाले) थे। उनकी माता का नाम आशिमा था जो कि एक गृहणी थी। यह लोग कुल पांच भाई-बहन थे, जिनमें से तीन इनके बड़े भाई और और एक बड़ी बहन थी, यह इन पांचों भाई-बहन में सबसे छोटे भाई थे।

A.P.J Abdul kalam का पूरा नाम

एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम "अबुल पाकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम" है। जिन्हें हम छोटे और साधारण रूप में A.P.J Abdul kalam भी कहते हैं। दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि कुछ समय पहले भारत में जब भी एक पुत्र का नामकरण किया जाता था तो उसके पिता और गांव के नाम के साथ किया जाता था हां बेशक उसे छोटे रूप में भी बुलाया जाता था लेकिन उसका पूरा नाम उसके पिता के नाम से अवश्य जुड़ा रहता था। उसी प्रकार अब्दुल कलाम का भी पूरा नाम उनके पिता के नाम से जुड़ा हुआ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 27 जुलाई 2015 को आईआईएम(IIM)शिलॉन्ग में एक भाषण दे रहे थे  जहां उन्हें एक अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर होने लगी। इसलिए उन्हें जल्द से जल्द  बेथानी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनकी मृत्यु गई। उसमें श्रीजन पाल से उन्होंने अंतिम शब्द कहे "Funny guy! Are you doing well?"

उसके बाद,डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अंतिम संस्कार 30 जुलाई 2015 को उनके पैत्रक गांव रामेश्वरम के पास हुआ। क्या आपको पता है कि लगभग 350,000 लोग अब्दुल कलाम के अंतिम अनुष्ठान में  शामिल हुए थे। जिनमें भारत के प्रधानमंत्री तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक,केरला,आंध्र प्रदेश और भी दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल थे।

History of A.P.J Abdul kalam - A.P.J Abdul kalam की पारिवारिक इतिहास और प्रारंभिक जीवन(apj abdul kalam family)

A.P.J Abdul kalam के पिता का नाम जैनुलाब्दीन था जो एक नाव चलाते थे और उनकी माता का नाम असीम्मा था और वह एक गृहणी थी उनके पिता के कुल 5 संतान थे जिनमें से 4 पुत्र और एक पुत्री थी। इन पांचों संतान में कलाम सबसे छोटे पुत्र थे जिनके तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी।

उनकी सबसे बड़ी बहन का नाम आसिम ज़ोहरा था और उनके तीन बड़े भाई थे जिनका नाम कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु, मीरा लेबाई, मारिकायर था। वह अपने परिवार से बड़े जुड़े हुए थे और सबकी मदद किया करते थे हालांकि वह पूरी जिंदगी कुंवारे रहे अर्थात शादी नहीं की। इसका मतलब यह है कि कलाम के परिवार में कुल 7 लोग थे जिनमें से दो उनके माता-पिता और 5 वे भाई बहन थे।

अब्दुल कलाम के पूर्वज कई पीढ़ियों के समाप्ति तक बड़े धनी व्यापारी और जमींदार थे। वह मुख्य रूप से द्वीप के बीच और श्रीलंका के किनारे का सामान का ही व्यापार करते थे। साथ ही साथ मुख्य भूमि से पामबन द्वीप तक तीर्थ यात्रियों के लिए नौका विहार का भी आयोजन करते थे। इसीलिए उनके परिवार को लोग "Mara Kalam Iyakkivar" (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और फिर बाद में "माराकियर" (Marakier) के नाम से भी जाना जाता हैं।

लेकिन वर्ष 1920 के पीड़ि तक उनके परिवार की पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है व्यवसाय विफल हो गई और तब से लेकर अब्दुल कलाम के जन्म से आगे तक यह गरीबी से ही जूझ रहे थे। अब्दुल कलाम के पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और इसी वजह से उनके पास कोई अच्छी नौकरी नहीं थी, जिसके कारण वह मछुआरों के साथ ना चलाते थे और उससे मिलने वाले पैसे से अपने घर का खर्चा संभालते थे।

जिसके चलते उन्हें तथा उनके परिवार को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण उन छोटे छोटे बालकों को उम्र में ही है कड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। अपने पिता की आर्थिक सहायता के लिए स्कूल से छूटने के बाद घर-घर जाकर अखबार बांटने का काम करने लगे और उससे मिले पैसों से अपने स्कूल की फीस देते थे।

बचपन में स्कूल के दिनों में वह हर बालक के तरह पढ़ाई  लिखाई में सामान्य ही थे,परंतु वह हर एक नई चीज़ सीखने के लिए सदैव तैयार और तत्पर रहते थे। वह हर एक नई चीज को सीखना चाहते थे इसलिए वह पढ़ाई पर घंटों ध्यान देते थे। अब्दुल कलाम को गणित में उनकी मुख्य रुचि थी.

उन्होंने अपने शुरुआती स्कूल की पढ़ाई रामनाथपुरम Schwartz Higher Secondary School से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और बाद में वहां से निकल कर तुरंत तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया। जहां से उन्होंने सन् 1954 में भौतिक विज्ञान से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। डिग्री प्राप्त करने के बाद वह मद्रास चले गए और वह वहां पर 1955 एयरोस्पेस
इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद अब्दुल कलाम ने वर्ष 1960 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली।

पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद अब्दुल कलाम का केवल एक ही सपना था fighter piolet बनने का, परंतु किस्मत उन्हें कुछ और ही बनाना चाहती थी। उसके बाद अब्दुल कलाम Air force के इंटरव्यू के लिए देहरादून गए। वहां इंटरव्यू में 25 कैंडिडेट आए थे जिनमें से अब्दुल कलाम 9 वें स्थान पर थे परंतु केवल 8 कैंडिडेट की ही जरूरत थी। इसलिए यह वहां पर सिलेक्ट नहीं किए गए।.

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की शिक्षा और करियर

वर्ष 1960 में स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद , ए.पी.जे अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन  के वैमानिकी विकास  में एक वैज्ञानिक के रूप में  जुड़ गए।

उन्होंने कुछ समय तक  इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) के हिस्से के रूप में भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक  विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था।

अब्दुल कलाम ने अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने DRDO में काम करते वक्त भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकॉप्टर को डिजाइन करने में सहायता किया था।

वर्ष 1963 से लेकर1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर जोकि रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित है, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया.

डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम वर्ष 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तारणीय रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम करना आरंभ कर दिया था।

वह DRDO में अपने काम से संतुष्ट नहीं थे परंतु जब सन् 1969 में आई एस आर ओ के द्वारा आदेश मिल गया तो वह बहुत ही प्रसन्न हो गए। वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में ही कार्य किया था। उसके बाद जुलाई 1980 उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल हो गई थी। यह भारत के द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया सबसे पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान था।

अब्दुल कलाम जी ने सन 1969 में सरकार की अनुमति प्राप्त कर ली और अधिक इंजीनियर को अपनी टीम में शामिल करने के लिए अपने कार्यक्रम को विस्तार किया। वर्ष 1970 में, उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को प्रचलित करने के उद्देश्य से एक प्रयास किया था ताकि भारत अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) Sun-Synchronous कक्षा में लांच कर सके, PSLV  योजना  पूर्णता सफल रही और पहली बार  20 सितंबर 1993 को इसे लांच किया गया था।

वर्ष 1970 से 1990 तक SLV -3 और ध्रुवीय SLV की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम का प्रयास पूर्ण रूप से सफल साबित हुए थे.

डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी(SLV) कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके  ब्लास्टिक मिसाइलों का निर्माण करना था, जो बिल्कुल ही सफल हुआ था।

जब इस एयरोस्पेस परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकार नहीं किया था। तब भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन्हें एक गुप्त निधि आवंटित की थी।

DRDO द्वारा नियुक्त भारतीय रक्षा मंत्रालय ने  तथा अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 कि प्रारंभ में  Integrated Guided Missile Development Program(IGMDP का शुरूआत किया था। अब्दुल कलाम जी को इस परियोजना का पूर्ण नेतृत्व करने का उद्देश्य दिया गया था। 

इसीलिए वह आईजीएमडीपी(IGMDP) के मुख्य कर्मचारी के अधिकार के रूप में DRDO में पुनः वापस लौट आए। और फिर बाद में उन्हीं के आदेशों व निर्देशों से अग्नि मिसाइल तथा पृथ्वी जैसे अन्य विस्फोटक मिसाइल को बना पाना मुमकिन रहा।

अब्दुल कलाम जी के ही नेतृत्व से IGMDP की परियोजना पहली बार 1988 में पृथ्वी मिसाइल बना कर और फिर बाद में 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित रही। इन मिसाइलों में अब्दुल कलाम का अहम सहयोग होने के कारण , उन्हें "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में जाना जाता है। 

फिर आगे उन्होंने, जुलाई 1992 से लेकर दिसंबर 1999 तक एक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के रूप में कार्य किया था और साथ ही साथ में प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे।

अब्दुल कलाम जी ने इस समय में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉक्टर कलाम की एक बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीकी और  राजनीतिक भूमिका निभाई थी और उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने भारत को एक पूर्ण परमाणु विकसित राज्य घोषित कर दिया। उस परीक्षण प्रक्रिया के दौरान आर. चिदंबरम के साथ एक मुख्य प्रयोजन समन्वयक बनाए गए थे।

क्या आप यह जानते हैं कि 1998 में डॉक्टर अब्दुल कलाम जी ने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी। जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” के नाम से भी जाना जाता था। 

इसके अलावा इन दोनों लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एक टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया था जिसको  "कलाम-राजू टैबलेट" नाम दिया गया था।

A.P.J Abdul kalam का भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

10 जून सन 2002 की बात है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए(NDA) सरकार ने राष्ट्रपति के पद के लिए डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम का नाम विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रस्तावित किया था।
डॉ. ए.पी.जे .अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से लेकर 25 जुलाई 2007 तक भारत के एक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। राष्ट्रपति में रहने वाले पहले ऐसे अभिभावक और वैज्ञानिक थे।
क्या आप यह जानते हैं कि डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति की चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और अपने विपक्ष में खड़ी लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीते थे।
भारत के दसवें राष्ट्रपति के.आर. नारायणन थे और उनके बाद ए.पी.जे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने थे।

अब्दुल कलाम भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। इनसे पहले यह सम्मान वर्ष 1954 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा वर्ष 1963 में जा डॉ जाकिर हुसैन को भारत रत्न जैसा सम्मान प्रदान किया गया था।
क्या आपको पता है कि आज हम डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम को पीपुल प्रेसिडेंट के रूप में भी जानते हैं।
अब्दुल कलाम के अनुसार राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिए गए सबसे कठिन निर्णय में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था।

अपने 5 साल के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने नजरिए में प्रतिबद्ध रहे।
हालांकि उन्हें, 21 से 20 लोगों की दया याचिका के भाग्य का फैसला करने के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति के रूप में आलोचित भी होना पड़ गया था। जिसमें से कश्मीर आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे,जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद पर हमला के लिए दोषी पाया गया था।

डॉ कलाम ने 2007 में फिर से राष्ट्रपति के चुनाव के लिए लड़ने का फ़ैसला नहीं किया और फिर 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के पद को छोड़ दिया।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां(apj abdul kalam awards)

● अब्दुल कलाम को भारत सरकार ने 1981 में पद्मा विभूषण से सम्मानित किया था।

● डॉ कलाम को भारत देश ने वर्ष 1997 में रक्षा अनुसंधान के विकास हेतु और भारत के रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के साथ सम्मानित किया था।

● अब्दुल कलाम को वर्ष 1997 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए भारत के "इंदिरा गांधी" पुरस्कार से भी सम्मानित किया था।

● अब्दुल कलाम को डीआरडीओ(DRDO) और इसरो और सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

● डॉ. अब्दुल कलाम को भारत सरकार ने वर्ष 1998 में वीर सावरकर पुरस्कार प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया था।

● अब्दुल कलाम को वर्ष 2000 में उन्हें चेन्नई के अलवर रिसर्च सेंटर द्वारा रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया गया था।

● अब्दुल कलाम जॉब यूके में वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय में थे तब वर्ष  2007 में उन्हें मानद डायरेक्टर आफ साइंस से सम्मानित किया गया था।

● अब्दुल कलाम ने वर्ष 2008 में उन्होंने सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डायरेक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग की उपाधि भी प्राप्त की थी।

● अब्दुल कलाम जी को अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) ने वर्ष 2009 में हूवर मेडल से भी सम्मानित किया था।

● कलाम को वर्ष 2010 में वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया।

● डॉक्टर अब्दुल कलाम वर्ष 2011 में आईईईई (IEEE) के मानद सदस्य भी बने थे।

● उन्होंने वर्ष 2012 में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लॉज (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्राप्त की थी।

● डॉ कलाम को अंतरिक्ष संबंधित परियोजनाओं के नेतृत्व और प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2013 में, उन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसायटी ने वॉन ब्रौन पुरस्कार पुरस्कार प्रदान किया था।

● डॉक्टर अब्दुल कलाम ने वर्ष 2014 में एडवर्ड विश्वविद्यालय ब्रिटेन से डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि को भी प्राप्त किया था।

● डॉक्टर अब्दुल कलाम लगभग 40 विश्वविद्यालयों से मानव डायरेक्टर का पुरस्कार प्राप्त कर चुके थे।

● डॉ. कलाम के जन्मदिन को वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने “विश्व छात्र दिवस” के रूप में मान्यता दी थी।

● डॉ कलाम की मृत्यु के बाद तमिलनाडु सरकार ने 15 अक्टूबर को जो कि उनका जन्म दिवस है उस दिन राजभर को युवा पुनर्जागरण दिवस के रुप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी।

● इसके अलावा साथ ही साथ राज्य सरकार ने उनके नाम पर “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार” की भी शुरुआत की थी। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो कि  वैज्ञानिक विकास, मानविकी और छात्रों के कल्याण को बढ़ाने के लिए काम करते हैं।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें

● इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (India 2020: A Vision for the New Millennium) (1998)

● द साइंटिफिक इंडियन: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस (The Scientific India: A Twenty First Century Guide to the World Around Us) (सह-लेखक: वाई. एस. राजन) (2011)

● इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (Ignited Minds: Unleasing the Power Within India) (2002)

● द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours) (2004)

● मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ (Mission of India: A Vision of Indian Youth) (2005)

● इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज (Inspiring Thoughts: Quotation Series) (2007)

● विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (Wings of Fire: An Autobiography) (1999)

● यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड (You Are Born to Blossam: Take My Journey Beyond) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2011)

● टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस (Turning Points: A Journey Through Challenges) (2012)

● माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस (My Journey: Transforming Dreams into Actions) (2013)

● रिग्नाइटेड: साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर (Reignited: Scientific Pathways to a Brighter Future) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2015)

● मिशन इंडिया(Missile India), लेखक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

● मैनीफेस्टो फॉर चेंज (Manifesto For Change) (सह-लेखक: वी. पोनराज) (2014)

● फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग (Forge Your Future: Candid, Forthright, Inspiring) (2014)

● टारगेट 3 बिलियन (Target 3  Billion) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2011)

● बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया (Beyond 2020: A Vision for Tomorrow’s India) (2014)

● गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया (Governance for Growth in India) (2014)

● द फैमिली एंड द नेशन (The Family and the Nation) (सह-लेखक: आचार्य महाप्रज्ञा) (2015)

● ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज (Transcendence My Spiritual Experiences) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2015)

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: आत्मकथाएँ(a.p.j abdul kalam autobiography)

● ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरी ( A.P.J.Abdul Kalam: The Visionary of India)
लेखक - के.भूषण और जी कैट्याल

● इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम( Eternal Quest: Life and Times of Dr. Kalam ) लेखक- एस चंद्र

● महात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिन (My Days With Mahatma Abdul Kalam) लेखक-फ्रेट ए.के. जॉर्जए

● लिटिल ड्रीम (A Little Dream) (Documentary film) (पी. धनपाल द्वारा) लेखक-पी. धनपाल

● कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्ष(The Kalam Effect: My Years with the President) लेखक-पी.एम. नायर

Amit yadav

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